दर्द इतने दिए जिंदगीने हमे
कि हर रह मे इस कदर मूड गए !
दिल ने हर रह पर पत्थर रखें!
धडकन भी साथ देणे से घबरा गई !!
शामिल हो गए हम भी किसी के मह्काने में
कि हर बंधन हमसे छुटणे लगे !
आंखे भी बंद हो गई किसी कि याद में
मौत सामने से दस्तक देके चली गई !
और हमे पता भी न चला !
हर सपना बीखरा स लगने लगा !
दुनिया भी बेरंग सी दिखने लगी !
किसे बताये इस दिल का हाल
हर मंजर भी अब धुंदलासा दिखने लगे !
काश ..कोई समज पता इस दिल कि मासुमियत को
तो इतने बेचार न होते हम आज
तरस खाये इस दिलपे या इस दुनियापे !
जो हमे मारणे के लिये तो अकेला छोड दिया !
पार मौत भी हमसे छिन लि गई !! ...अश्विनी अवतारे,नागपूर
No comments:
Post a Comment