Saturday 2 May 2015

काश


दर्द इतने  दिए जिंदगीने  हमे
कि   हर  रह मे इस कदर  मूड  गए !
दिल ने  हर रह पर  पत्थर  रखें!
धडकन भी साथ देणे  से घबरा गई !!

शामिल हो गए हम भी किसी के मह्काने में
कि हर बंधन हमसे छुटणे लगे !
आंखे भी बंद हो गई किसी कि याद में
मौत सामने से दस्तक देके चली गई !
और हमे पता भी न चला !

हर सपना बीखरा स लगने लगा !
दुनिया भी बेरंग सी दिखने लगी  !
किसे बताये इस दिल का  हाल
हर मंजर भी अब धुंदलासा दिखने लगे !

काश  ..कोई समज पता इस दिल कि मासुमियत   को
तो  इतने बेचार न होते हम आज
तरस खाये इस दिलपे या इस दुनियापे !
जो हमे मारणे के लिये तो अकेला छोड दिया !
पार मौत भी हमसे छिन लि गई !!  ...अश्विनी अवतारे,नागपूर


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